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लेखनी प्रतियोगिता -27-Apr-2022मूझे जीने दो

        " मै अपनी बेटियौ के लिए जीना चाहती हूँ । मेरा जीने का अधिकार आप सबने मिलकर छीन लिया है। मै अपनी इन बेटियौ की चिन्ता में चैन से मर भीनही सकती हूँ।"  सरिता रोती हुई अपने पति विनय के हाथौ को अपने हाथ में लेकर बोली।


        "नही मै तुझे कुछ नही होने दूँगा मैने ऊपरवाले का क्या बुरा किया है जिसकी सजा वह तुमको देरहा है।" , विनय सरिता के आँसुऔ को साफ करतख हुआ बोला।

    "मैने आपके परिवार के छोटे बडे़ सभी का सम्मान किया था। बेटिया अथवा बेटा  पैदा करना हमारे बस में नही है यह सब ऊपरवाले की मर्जी से होता है। लेकिन आपके घरवालो ने हमेशा इसके लिए मुझे ही दोषी ठहराया है। आप तो पढे़ लिखे हो  उनको समझा सकते थे। लेकिन आपने कभी इन बातो पर ध्यान ही नही दिया। आप हमेशा अपनी दुनियां में मस्त रहे हो।" सरिता सारा दोष विनय का बताती हुई बोली।

    "सरिता तुम्हारा कहना सही है मुझे तो दौनौ तरफ की सोचनी पड़ती है। यदि तुम्हारी सुनता था तब वह मेरी जान खाते थे और जब उनकी सुनता था तब तुम्है परेशान किया जाता था।", विनय अपनी सफाई देता हुआ बोला।

         "देखो यह बात आप भी जानते हो कि मेरा बचना बहुत मुश्किल है। अब आप मेरे इलाज में पैसे मत बर्बाद करो। ये पैसे बेटियौ के नाम से एफ डी करवादो जिससे उनके काम आयेगे आपका बजन भी हल्का होगा। अब आप मुझे विश्वास दिलाओ कि मेरे बेटियौ के साथ कुछ गलत नही होगा यदि आप मुझे ऐसा विश्वास देदोगे तब मैं चैन से मर सकूँगी।" सरिता रोते हुए बोली।

    "मै तुम्है कुछ नही हौने दूँगा । फिर भी मुझ पर विश्वास करो मै श्वेता व दीक्षा के साथ कुछ भी गलत नहीं हौने दूँगा। इसके लिए मुझे कुछ भी करना पडे़ अब तुम चिन्ता मत करना।" विनय सरिता के सिर पर हाथ रखता हुआ बोला।

       कुछ समय बाद सरिता की दौनौ बेटिया ं भी आगयी  सरिता ने उनको जी भरकर प्यार  किया  और उन दौनौ का हाथ विनय के हाथ में देकर वह सुख की नींद सोगयी।

   दौनो बेटिया माँ से लिपटकर रो रही थी लेकिन विनय उनको रोते हुए देखकर स्वयं नहीं रो रहा था  उसने बहुत मुश्किल से सरिता से अलग किया और अपनी छाती से चिपका लिया।

       विनय अपने मा बाप की इकलौती सन्तान था। उसके मा बाप को उससे बहुत आशा थी।  विनय के पापा की एक किरयाने की दुकान थी। विनय भी उसीको सम्भालता था।

     विनय की शादी सरिता से करवादी गयी सरिता अधिक पढी़ नही थी परन्तु घर परिवार के काम में बहुत निपुण थी।।

  सरिता ने ससुराल में सबकी सेवा करके सभी का दिल जीत लिया था। उसके मायके वाले भी खुश थे। परन्तु जब सरिता के पहली सन्तान बेटी हुई तबसे उसकी सास व ससुर ने नाक सिकोड़ ली और सरिता की इज्जत होना बन्द होगयी। वह कितना भी करती परन्तु सास सीधे मुँह बात नहीं करती।

         सरिता के जब दूसरी बेटी पैदा हुई तबसे तो उसके साथ बहुत बुरा ब्यबहार हौने लगा। विनय कुछ नहीं बोलता था क्यौकि यदि वह अपनी पत्नी की तरफ बोलता तो गाँव वाले उसको दोषी ठहरायेगे इस डर से वह चुप रहता।

     जब तीसरी बार सरिता गर्भवती हुई तब उसका टैस्ट करवाया तो लड़की ही आई।  अब उसकी सास ने  उसके गर्भ को गिरवाने की जिद पकड़ली  इससे उनके घर मे परेशानिया बढ़गयी।

 जब गर्भ गिरवाया गया तबसे सरिता की परेशानी बहुत बढ़ गयी  क्यौकि उस समय खून अधिक बह गया था । जिससे बीमारी बढ़ती ही गयी इस बीमारी मे ंही सरिता मौत के मुंह में चलीगयी।

         सरिता की मौत के बाद  विनय ने अपनी बेटियौ पर ध्यान देना शुरू कर दिया। विनय के माता पिता उसकी दूसरी शादी करवाना चाहते थे परन्तु उसने अपने सुख के लिए दूसरी शादी नहीं की।

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17 Comments

Punam verma

28-Apr-2022 01:35 PM

Very nice

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Niraj Pandey

28-Apr-2022 09:52 AM

बहुत ही बेहतरीन

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Shrishti pandey

28-Apr-2022 08:52 AM

Very nice

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